
क्या आप भी उन लोगों में से एक हैं जो चश्मे का इस्तेमाल करने से आजिज आ चुके हैं?
यदि ऐसा है तो चिंता न करें. वैज्ञानिकों ने एक ऐसा क्रांतिकारी तरीका ईजाद किया है जो लाखों लोगों को चश्मा पहनने की मजबूरी से हमेशा के लिए छुटकारा दिला सकता है.
वैज्ञानिकों ने जो नई चिकित्सा पद्धति विकसित की है उसके तहत आंखों के अंदर एक तरह का छोटा-सा प्लास्टिक प्रतिरोपित कर चश्मे की जरूरत को खत्म किया जा सकता है. 'जेड कामरा' नाम की इस शैली के प्रायोगिक परीक्षणों में काफी अच्छे परिणाम मिले हैं.
डेली टेलीग्राफ के अनुसार इस शैली में लेजर की मदद से कॉर्निया (आंखों के बाहरी लेंस) में एक हल्का सा छेद कर काफी महीन परत डाल दी जाती है. इससे आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी की मात्रा को नियंत्रित करने में सहूलियत होगी और स्पष्ट और साफ देखा जा सकेगा. ब्रिटेन में इस तरह का इलाज शुरू हो चुका है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक 70 साल से ज्यादा उम्र के लोग, जिनकी दूर या पास की नजर काफी कम है, उन्हें इस नए इलाज का ज्यादा फायदा नहीं मिल सकेगा क्योंकि उनके कैट्रैक्ट्स को बदले जाने की जरूरत होती है.
इस तकनीक में एक आंख के प्लास्टिक प्रतिरोपण पर 2,800 पाउंड्स खर्च आएगा लेकिन 90 प्रतिशत मरीजों को दोनों आंखों के इलाज की जरूरत होगी जिस पर 4,600 पाउंड खर्च आएगा.
हालांकि ब्रिटेन के प्रमुख नेत्र चिकित्सक डॉ. लैरी बेंजामिन ने चेतावनी भी दी है कि यह बहुत दिलचस्प इलाज साबित होगा लेकिन हर किसी के लिए उपयुक्त साबित नहीं होगा जैसे कि पायलट, जिनकी रात को देखने की नजर बहुत महत्व रखती है. ऐसे में उनके लिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकेगी. sabhar:http://www.samaylive.com
वैज्ञानिकों ने जो नई चिकित्सा पद्धति विकसित की है उसके तहत आंखों के अंदर एक तरह का छोटा-सा प्लास्टिक प्रतिरोपित कर चश्मे की जरूरत को खत्म किया जा सकता है. 'जेड कामरा' नाम की इस शैली के प्रायोगिक परीक्षणों में काफी अच्छे परिणाम मिले हैं.
डेली टेलीग्राफ के अनुसार इस शैली में लेजर की मदद से कॉर्निया (आंखों के बाहरी लेंस) में एक हल्का सा छेद कर काफी महीन परत डाल दी जाती है. इससे आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी की मात्रा को नियंत्रित करने में सहूलियत होगी और स्पष्ट और साफ देखा जा सकेगा. ब्रिटेन में इस तरह का इलाज शुरू हो चुका है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक 70 साल से ज्यादा उम्र के लोग, जिनकी दूर या पास की नजर काफी कम है, उन्हें इस नए इलाज का ज्यादा फायदा नहीं मिल सकेगा क्योंकि उनके कैट्रैक्ट्स को बदले जाने की जरूरत होती है.
इस तकनीक में एक आंख के प्लास्टिक प्रतिरोपण पर 2,800 पाउंड्स खर्च आएगा लेकिन 90 प्रतिशत मरीजों को दोनों आंखों के इलाज की जरूरत होगी जिस पर 4,600 पाउंड खर्च आएगा.
हालांकि ब्रिटेन के प्रमुख नेत्र चिकित्सक डॉ. लैरी बेंजामिन ने चेतावनी भी दी है कि यह बहुत दिलचस्प इलाज साबित होगा लेकिन हर किसी के लिए उपयुक्त साबित नहीं होगा जैसे कि पायलट, जिनकी रात को देखने की नजर बहुत महत्व रखती है. ऐसे में उनके लिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकेगी. sabhar:http://www.samaylive.com
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